हम जब युवा होते है तो समाजवाद बहुत अच्छा लगता है, और समय जाते उसका सही स्वरूप क्या है वो पता चलता है।
1)
साहेब : अगर तुम्हारे पास 20 बीघा खेत हैं तो क्या तुम उसका आधा 10 बीघा गरीबों को दे दोगे ?
भक्कू : हाँ दे देंगे…
2)
साहेब : अगर तुम्हारे पास 2 घर हैं तो क्या तुम एक घर गरीबों को दे दोगे ?
भक्कू : हाँ दे देंगे…
3)
साहेब : अगर तुम्हारे पास 2 Car हैं तो क्या तुम एक कार ग़रीब को दे दोगे ?
भक्कू : हाँ दे देंगे…
4)
साहेब : अगर तुम्हारे पास बीड़ी का बंडल है तो क्या उनमें से 2 बीड़ी तुम अपने साथी को दे दोगे ?
भक्कू : नहीं, बीड़ी तो बिल्कुल नहीं देंगे… 😬
5)
अब साहेब बहुत चकित हुए और उन्होंने पूछा कि तुम अपना खेत दे दोगे गरीबों को, घर दे दोगे, कार दे दोगे मगर अपनी बीड़ी क्यों नहीं दोगे ? इतना बड़ा-बड़ा बलिदान कर सकते हो और बीड़ी पर अटक गए ? आख़िर क्यों ?
भक्कू : ऐसा है कि हमारे पास न तो खेत हैं… न घर है और ना ही कार है। हमारे पास सिर्फ बीड़ी का बंडल ही है।
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Most of the Youth trapped in between 1 to 3 point, or when reach at point 4 they feel it's just single small thing, which we should not ask. But when they reach to end it's very late and they are exhausted their most of energy & time of their life.
Let's understand this long game and save our future generations from such thing.
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