Thursday, September 8, 2016

इको फ्रेंडली बकरी ईद मानाए

#बकरीद_के_सम्बन्ध_में_निवेदन

प्रति,
सभी बकरी ईद मनाने वाले भाईओ एवं बहिनो,

*विषय : बकरीद पर करोडो निरीह बेजुबान जीवों की हत्या के सम्बन्ध में*


आने वाली 12 तारीख सितम्बर 2016 को हम सभी बकरीद का त्यौहार मनाने जा रहा है जिसमे अपने *ईश्वर को खुश करने के नाम पर करोड़ो निरीह बेजुवां जीवों की हत्या की जाएगी* आमतौर पर ये बकरे होते हैं हैं परन्तु कई जगह पर हिरन की हत्या करने की भी खबर आती रहती है

इसलिए मेरा आपसे निवेदन है की बकरीद पर हम सभी अपने जगह पर   *मिटटी का बकरा काटकर ईको फ्रेंडली बकरीद मनाये* , इससे ना सिर्फ   इस अन्धविश्वास में कुछ हद तक कमी हो मगर साथमें *करोड़ों बेजुवान पशु अकाल म्रत्यु से बच सकें ! और लाखों लीटर खून के न बहने से पर्यावरण भी शुद्ध रहेगा और उसको साफ़ करने के लिये व्यर्थ पाणी भी नहीं बहाना पड़ेंगा* ...

भवदीय

आपका
एक ईको फ्रेंडली  मित्र

नाव में कुत्ता

एक राजा अपने कुत्ते के साथ नाव में यात्रा कर रहा था ।
उस नाव में अन्य यात्रियों के साथ एक चतुर वृद्ध भी था ।

कुत्ते ने कभी नौका में यात्रा नहीं की थी , इसलिए वह अपने को सहज नहीं रख पा रहा था । वह उछल-कूद कर रहा था और किसी को शांति से नहीं बैठने दे रहा था ।
.
मल्लाह उसकी उछल-कूद से असहज था कि ऐसी स्थिति में यात्रियों की हड़बड़ाहट से नाव डूब जाएगी । वह भी डूबेगा और दूसरों को भी ले डूबेगा । परन्तु कुत्ता अपने स्वभाव के कारण उछल-कूद में लगा था । ऐसी स्थिति देखकर राजा भी गुस्से में था । पर, कुत्ते को सुधारने का कोई उपाय उन्हें समझ में नहीं आ रहा था ।

नाव में बैठे वृद्ध से रहा नहीं गया । वह राजा के पास गया और बोला - "श्रीमान ! अगर आप अनुमति दें , तो मैं इस कुत्ते को भीगी बिल्ली बना सकता हूँ ।"
राजा ने तत्काल अनुमति दे दी ।

वृद्ध ने दो यात्रियों का साथ लिया और उस कुत्ते को नाव से उठाकर नदी में फेंक दिया । कुत्ता तैरता हुआ नाव के खूंटे को पकड़ने लगा । उसको अब अपने प्राण के लाले पड़ रहे थे । कुछ देर बाद वृद्ध ने उसे खींचकर नाव में चढ़ा लिया ।

-------------------------------------------------------

कुत्ता चुपके से जाकर एक कोने में बैठ गया । नाव के यात्रियों के साथ राजा को भी उस कुत्ते के परिवर्तित व्यवहार पर बड़ा आश्चर्य हुआ । राजा ने वृद्ध से पूछा - "यह पहले तो उछल-कूद और चंचलता दिखा रहा था, अब देखो कैसे यह पालतू बकरी की तरह बैठा है ?"
.
वृद्ध बोला - "स्वयं कष्ट का रस चखे बिना , किसी को दूसरे की विपत्ति का अनुमान नहीं होता है । इस कुत्ते को जब मैंने पानी में फेंक दिया , तो इसे पानी की शक्ति और नाव की उपयोगिता समझ में आ गयी ।"

भारत में रहकर भारत को गाली देने वालों पर यह कथा सटीक बैठती है ।