क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है। एक बार बोल कर देखिये |
च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ लालू से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |
ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है। एक बार बोल कर देखिये |
त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है। एक बार बोल कर देखिये |
प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये ।
च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ लालू से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |
ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है। एक बार बोल कर देखिये |
त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है। एक बार बोल कर देखिये |
प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये ।
हम अपनी भाषा पर गर्व करते सही है परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये |
इतनी वैज्ञानिक दुनिया की कोई भाषा नही है ।
एक मजेदार बात, संस्कृत आधारित सभी भाषाए जैसे हिंदी, बंगला, ओडिया, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम इत्यादि सभी भाषाओ में व्यंजन \\\"क से ज्ञ \\\" और स्वर \\\"अ से अः \\\" ही होता है बस उनकी लिपि और बोली अलग होती है। और पढाया भी उसी क्रम में जाता है जिस क्रम में हम हिंदी सीखते है ।
है न मजेदार!!
इतनी वैज्ञानिक दुनिया की कोई भाषा नही है ।
एक मजेदार बात, संस्कृत आधारित सभी भाषाए जैसे हिंदी, बंगला, ओडिया, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम इत्यादि सभी भाषाओ में व्यंजन \\\"क से ज्ञ \\\" और स्वर \\\"अ से अः \\\" ही होता है बस उनकी लिपि और बोली अलग होती है। और पढाया भी उसी क्रम में जाता है जिस क्रम में हम हिंदी सीखते है ।
है न मजेदार!!
सभी भारतीयोकों को प्रेमपूर्वक ये एहसास दिलाये कि जो भाषा वो बोलते है , वो कितनी वैज्ञानिक है ।
उनका आत्म विश्वास इतना प्रबल कर दे कि वो अंग्रेजी बोलने वाले के सामने कभी भी खुद को छोटा न समझे |
उनका आत्म विश्वास इतना प्रबल कर दे कि आईंदा से वो अंग्रेजी में गिटिर -पिटिर करने वाले को लाड साहेब न समझे ।
आइए, भाषा की मानसिक गुलामी से औरो को भी मुक्त होने में सहायता करें |
No comments:
Post a Comment